यह संविधान की मूल भावना है तथा सामान्य संशोधन से भी इसे अपवाद के तौर पर भी नहीं छोड़ा जा सकता।
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जबकि अब मैं देख रहा हूँ कि गूगल सर्च के द्वारा आने वाले पाठक इस पोस्ट को पर्याप्त तवज्जो देते दिख रहे हैं और कामन विषय है इसलिये मैं इसे इस ब्लाग पर भी सामान्य संशोधन व नये ले-आऊट के साथ इसे पुनः प्रकाशित कर रहा हूँ ।